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रजिस्ट्री से पहले न देखा ये दस्तावेज? Property Registry Documents की पूरी जानकारी

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले किन दस्तावेजों की जांच करें? पूरी जानकारी

रजिस्ट्री से पहले न देखा ये दस्तावेज? नई प्रॉपर्टी बन सकती है बड़ी मुसीबत!

भारत में प्रॉपर्टी खरीदना हर किसी का सपना होता है। लेकिन यह सपना तब डरावना बन सकता है, जब रजिस्ट्री से पहले जरूरी दस्तावेजों की सही जांच न की जाए। कई बार लोग जल्दबाज़ी या जानकारी की कमी में प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं और बाद में धोखाधड़ी, विवाद या कानूनी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी नई प्रॉपर्टी लेने जा रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद ज़रूरी है। इसमें हम विस्तार से जानेंगे कि रजिस्ट्री से पहले किन दस्तावेजों की जांच ज़रूरी है और क्यों।

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प्रॉपर्टी खरीदने से पहले अगर जरूरी दस्तावेजों की जांच न की जाए तो भविष्य में विवाद और धोखाधड़ी का सामना करना पड़ सकता है। इस लेख में जानें रजिस्ट्री से पहले किन दस्तावेजों को देखना ज़रूरी है।

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क्यों ज़रूरी है दस्तावेजों की जांच?

प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री से पहले दस्तावेजों की जांच करना आपकी सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। अगर आप ऐसा नहीं करते तो:

  • प्रॉपर्टी विवादित हो सकती है।
  • नकली कागज़ात के आधार पर बिक्री हो सकती है।
  • बैंक लोन या फाइनेंस में दिक्कत आ सकती है।
  • कानूनी लड़ाई में पैसा और समय दोनों बर्बाद हो सकते हैं।

सही दस्तावेज जांचकर आप न केवल सुरक्षित प्रॉपर्टी खरीदते हैं, बल्कि भविष्य में आने वाले जोखिमों से भी बच जाते हैं।

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले ज़रूरी दस्तावेज

1. सेल डीड (Sale Deed)

यह सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जो बताता है कि प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है और किसने इसे बेचा।

  • सुनिश्चित करें कि सेल डीड रजिस्टर्ड है।
  • इसमें सभी शर्तें और मालिक की जानकारी साफ-साफ लिखी हो।

2. मदर डीड (Mother Deed)

यह दस्तावेज़ प्रॉपर्टी के असली मालिक और उसके ट्रांजैक्शन का इतिहास बताता है।

  • इसमें प्रॉपर्टी का पूरा रिकॉर्ड दर्ज होता है।
  • यह बैंक लोन लेने के लिए भी ज़रूरी है।

3. एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate – EC)

EC बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी बंधन या लोन तो नहीं है।

  • अगर प्रॉपर्टी गिरवी रखी गई है तो इसका रिकॉर्ड EC में मिलेगा।
  • यह दस्तावेज क्लियर होने पर ही प्रॉपर्टी सुरक्षित मानी जाती है।

4. ऑथराइज्ड लेआउट प्लान और बिल्डिंग अप्रूवल

अगर आप प्लॉट या फ्लैट खरीद रहे हैं तो यह देखना ज़रूरी है कि:

  • प्रॉपर्टी लोकल अथॉरिटी से अप्रूव है।
  • बिल्डर ने निर्माण के लिए सही परमिशन ली है।

5. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (Occupancy Certificate – OC)

यह प्रमाण पत्र तब दिया जाता है जब बिल्डर निर्माण पूरा कर लेता है।

  • यह बताता है कि बिल्डिंग रहने योग्य है।
  • OC के बिना खरीदी गई प्रॉपर्टी कानूनी पेंच में फंस सकती है।

6. पजेशन लेटर (Possession Letter)

यह दस्तावेज बिल्डर द्वारा खरीदार को दिया जाता है।

  • इसमें कब्जे की तारीख और शर्तें लिखी होती हैं।
  • अगर कब्जा नहीं मिला तो यह दस्तावेज सबूत के तौर पर काम आता है।

7. सोसाइटी/आरडब्ल्यूए एनओसी (NOC)

अगर आप फ्लैट खरीद रहे हैं तो सोसाइटी या रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन से NOC लेना ज़रूरी है।

  • यह बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई बकाया नहीं है।
  • यह ट्रांसफर और रजिस्ट्री प्रक्रिया को आसान बनाता है।

8. टैक्स रसीदें और बिजली-पानी बिल

  • सुनिश्चित करें कि प्रॉपर्टी पर सभी टैक्स और बिल क्लियर हों।
  • पुराने बकाये की जिम्मेदारी नए मालिक पर भी आ सकती है।

9. आधार, पैन और फोटो आईडी

  • विक्रेता और खरीदार दोनों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी।
  • नकली पहचान से बचने के लिए यह दस्तावेज़ ध्यान से चेक करें।

10. रीसेल प्रॉपर्टी के लिए अतिरिक्त दस्तावेज

अगर आप रीसेल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो:

  • पुराने मालिक की सेल डीड देखें।
  • सोसाइटी से NOC और नो ड्यूज सर्टिफिकेट लें।
  • बैंक लोन क्लोजर का सर्टिफिकेट चेक करें।

किन गलतियों से बचें?

  • केवल बिल्डर या ब्रोकर के भरोसे न रहें।
  • दस्तावेजों की वेरिफिकेशन खुद करें या वकील से कराएं।
  • कम कीमत देखकर लालच में न आएं।
  • मौखिक आश्वासन पर भरोसा न करें, हर बात लिखित में लें।

दस्तावेजों की जांच कौन कर सकता है?

  • एडवोकेट/लीगल एक्सपर्ट: दस्तावेजों की वैधता चेक करने के लिए।
  • रजिस्ट्रार ऑफिस: वहां जाकर भी आप वेरिफिकेशन कर सकते हैं।
  • बैंक: अगर आप होम लोन ले रहे हैं तो बैंक भी दस्तावेजों की जांच करता है।

निष्कर्ष

प्रॉपर्टी खरीदते समय अगर आप रजिस्ट्री से पहले जरूरी दस्तावेजों की जांच नहीं करेंगे, तो भविष्य में बड़ी मुसीबत झेलनी पड़ सकती है। विवाद, धोखाधड़ी और आर्थिक नुकसान से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि सभी कानूनी दस्तावेजों की जांच करें और विशेषज्ञ की सलाह लें। याद रखिए, थोड़ी सावधानी आपको आने वाली बड़ी परेशानी से बचा सकती है।

मुख्य बिंदु याद रखें:

  • हमेशा सेल डीड, मदर डीड और EC चेक करें।
  • ऑथराइज्ड लेआउट और OC ज़रूरी है।
  • टैक्स और बिल क्लियर होने चाहिए।
  • वकील से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करवाना सबसे सुरक्षित तरीका है।

Avinash Kusmade

Kmedia Company में एक कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं और ट्रेंडिंग न्यूज़ में विशेषज्ञता के साथ पांच साल का अनुभव है। वे पाठकों तक स्पष्ट और सटीक जानकारी पहुँचाने के लिए समर्पित हैं, जिससे जटिल सरकारी योजनाएँ आम जनता के लिए आसानी से समझ में आ सकें।

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