PKVY योजना 2025: किसानों को मिलेगी ₹31,500 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी, ऐसे उठाएं लाभ
₹31,500 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी से जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा – PKVY योजना

किसानों को मिलेगा ₹31,500 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी, ऐसे उठाएं लाभ – PKVY योजना
भारत कृषि प्रधान देश है और यहां अधिकांश जनसंख्या की आजीविका खेती पर निर्भर करती है। आधुनिक समय में रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग ने खेती की गुणवत्ता और मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित किया है। ऐसे में किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) की ओर प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana – PKVY) शुरू की है। इस योजना के तहत किसानों को ₹31,500 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी दी जा रही है ताकि वे प्राकृतिक और जैविक खेती को अपनाकर बेहतर उत्पादन कर सकें।
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इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि PKVY योजना क्या है, किसानों को इसमें कितनी सब्सिडी मिलेगी, आवेदन की प्रक्रिया क्या है और इसके लाभ कैसे उठाए जा सकते हैं।
किसानों को अब जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत ₹31,500 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी मिलेगी। जानें इस योजना की पात्रता, लाभ और आवेदन प्रक्रिया की पूरी जानकारी।
परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) क्या है?
परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) की शुरुआत केंद्र सरकार ने वर्ष 2015-16 में की थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्त प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करना है।
इस योजना के तहत किसानों को समूहों में संगठित किया जाता है और उन्हें जैविक खेती के लिए आवश्यक प्रशिक्षण, बीज, जैविक खाद, जीवामृत, वर्मी कम्पोस्ट, गोबर खाद और अन्य सामग्रियों की लागत पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
किसानों को मिलेगी ₹31,500 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी
इस योजना में किसानों को 3 साल की अवधि में कुल ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी दी जाती है।
- यह राशि जैविक खाद, बीज, प्राकृतिक कीटनाशक और अन्य आवश्यक संसाधनों पर खर्च करने के लिए होती है।
- सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खाते में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से दी जाती है।
- किसानों को यह सब्सिडी समूह आधारित खेती (Cluster Approach) के तहत दी जाती है, जहां 20 से 50 किसान मिलकर कम से कम 20 हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती करते हैं।
PKVY योजना के मुख्य उद्देश्य
- किसानों को रसायन मुक्त खेती की ओर प्रोत्साहित करना।
- मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना और प्राकृतिक संतुलन को बहाल करना।
- जैविक उत्पादों की मांग को पूरा करना और किसानों की आमदनी बढ़ाना।
- कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाकर बाजार में बेहतर दाम दिलाना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सतत और पर्यावरण मित्र खेती को बढ़ावा देना।
PKVY योजना की प्रमुख विशेषताएं
- क्लस्टर आधारित खेती : कम से कम 20 हेक्टेयर भूमि पर किसानों का समूह जैविक खेती करता है।
- प्रशिक्षण की सुविधा : किसानों को जैविक खाद बनाने, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने और प्राकृतिक कीटनाशकों के उपयोग की ट्रेनिंग दी जाती है।
- मार्केटिंग और ब्रांडिंग : जैविक उत्पादों के लिए अलग से बाजार उपलब्ध कराया जाता है।
- सीधा लाभ : सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में जाती है।
- 3 साल का पैकेज : किसानों को लगातार तीन साल तक सहायता दी जाती है ताकि वे पूरी तरह से जैविक खेती को अपना सकें।
PKVY योजना का लाभ कौन उठा सकता है?
- भारत का कोई भी किसान जो जैविक खेती करना चाहता है।
- किसान को समूह (Cluster) में शामिल होना आवश्यक है।
- जिन किसानों के पास अपनी खेती योग्य भूमि है, वे प्राथमिकता के आधार पर चुने जाते हैं।
- SC/ST और महिला किसानों को इस योजना में प्राथमिकता दी जाती है।
PKVY योजना में आवेदन प्रक्रिया
किसान इस योजना का लाभ आसानी से ले सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाने होते हैं:
- ग्रामीण स्तर पर क्लस्टर बनाना – कम से कम 20 किसानों का समूह तैयार करें और अपनी 20 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के लिए नामित करें।
- आवेदन करना – इच्छुक किसान अपने ग्राम पंचायत, कृषि विभाग के जिला कार्यालय या राज्य कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
- आवश्यक दस्तावेज –
- आधार कार्ड
- बैंक पासबुक
- जमीन के कागजात
- पासपोर्ट साइज फोटो
- प्रशिक्षण और स्वीकृति – आवेदन के बाद किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है और जैविक खेती के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं।
- सब्सिडी का भुगतान – योजना स्वीकृत होने के बाद सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।
PKVY योजना के फायदे
- मिट्टी की उर्वरता में सुधार – रसायन मुक्त खेती से मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है।
- कम लागत पर खेती – प्राकृतिक खाद और कीटनाशकों के कारण खेती की लागत कम होती है।
- बेहतर दाम – जैविक उत्पादों की बाजार में मांग अधिक होती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है।
- पर्यावरण संरक्षण – रसायनों के उपयोग में कमी से पर्यावरण को लाभ होता है।
- स्वास्थ्य लाभ – जैविक खेती से उत्पादित अनाज, फल और सब्जियां अधिक पौष्टिक और सुरक्षित होते हैं।
किसानों को ध्यान रखने योग्य बातें
- योजना का लाभ केवल समूह आधारित खेती में ही मिलेगा।
- सब्सिडी का उपयोग केवल जैविक खेती से संबंधित कार्यों पर ही करना होगा।
- जैविक प्रमाणन (Organic Certification) के लिए किसानों को आवश्यक मानकों का पालन करना होगा।
- योजना का पूरा लाभ लेने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और कार्यशालाओं में भाग लेना चाहिए।
निष्कर्ष
परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। इस योजना से न केवल किसानों को ₹31,500 प्रति हेक्टेयर सब्सिडी मिलती है, बल्कि उन्हें कम लागत में बेहतर और सुरक्षित उत्पादन भी प्राप्त होता है। जैविक खेती से उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ती है और बाजार में अधिक दाम मिलते हैं।
आज जब लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं और जैविक खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है, तो किसानों के लिए यह योजना उनकी आमदनी दोगुनी करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यदि आप भी किसान हैं और अपनी खेती को रसायन मुक्त बनाना चाहते हैं, तो PKVY योजना से जुड़कर सब्सिडी का लाभ जरूर उठाएं।