किसान कर्जमाफी आंदोलन: बच्चू कडू की सातबारा कोरा कारा यात्रा ने फिर जगाई उम्मीद

किसान कर्जमाफी आंदोलन: बच्चू कडू की सातबारा कोरा कारा यात्रा ने फिर जगाई उम्मीद
महाराष्ट्र में एक बार फिर किसान कर्जमाफी का मुद्दा ज़ोर पकड़ रहा है। इस बार इस आंदोलन की कमान संभाली है प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष और अमरावती के विधायक बच्चू कडू ने। राज्य सरकार द्वारा किए गए कर्ज माफी के वादे अधूरे रहने के कारण उन्होंने “सातबारा कोरा कारा” नामक जन आंदोलन की शुरुआत की है, जो किसानों के हक और सम्मान की लड़ाई को एक नई दिशा दे रहा है।
🔥 आंदोलन की शुरुआत: पापल से चिलगावण तक 138 किमी की पदयात्रा
यह ऐतिहासिक आंदोलन आज अमरावती जिले के पापल गांव से शुरू हुआ है और यवतमाल जिले के चिलगावण गांव में समाप्त होगा। इस सात दिवसीय पदयात्रा में बच्चू कडू लगभग 138 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करेंगे, और रास्ते में किसानों से सीधा संवाद करेंगे।
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- पापल: भारत के पहले कृषि मंत्री डॉ. पंजाबराव देशमुख का जन्मस्थान।
- चिलगावण: देश का पहला किसान आत्महत्या प्रभावित गांव।
यह यात्रा एक प्रतीकात्मक संघर्ष को दर्शाती है – जहां एक ओर कृषि क्रांति की नींव रखी गई, वहीं दूसरी ओर किसानों की त्रासदी की सबसे कड़वी तस्वीर सामने आई।
🤝 सर्वदलीय समर्थन: किसानों के लिए एकजुटता का संदेश
इस आंदोलन को सिर्फ प्रहार जनशक्ति पार्टी का नहीं, बल्कि विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों का भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। सभी दलों के नेता, बिना राजनीतिक भेदभाव के, इस आंदोलन में सहभागी हो रहे हैं। यह दर्शाता है कि किसानों का मुद्दा किसी पार्टी का नहीं, पूरे समाज का है।
💥 बच्चू कडू का संकल्प: जब तक सातबारा कोरा नहीं, तब तक संघर्ष
बच्चू कडू पहले भी किसानों की ऋण माफी को लेकर भूख हड़ताल कर चुके हैं और सरकार से कई वादे भी करवाए, लेकिन वे अब तक पूरे नहीं हुए। इसीलिए इस बार उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जब तक:
- सातबारा (7/12) से किसानों का कर्ज पूरी तरह साफ नहीं होता,
- और सरकार किसानों की अन्य मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती,
तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
📢 क्यों ज़रूरी है यह आंदोलन?
- लाखों किसान आज भी कर्ज के बोझ तले दबे हैं।
- राज्य सरकार की ऋणमाफी योजनाएँ अधूरी साबित हुई हैं।
- किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला अब भी नहीं थमा है।
✅ किसानों के लिए नई योजनाएँ भी चर्चा में
- जिन किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) है, उन्हें ₹5 लाख तक का कर्ज मिल सकता है। इसके लिए आवेदन प्रक्रिया भी सरल कर दी गई है।
🔚 निष्कर्ष
“सातबारा कोरा कारा” आंदोलन सिर्फ एक राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि यह महाराष्ट्र के किसानों की दशकों पुरानी पीड़ा और न्याय की मांग का प्रतीक बन चुका है। बच्चू कडू का यह कदम किसानों के लिए आशा की किरण बनकर उभरा है।
👉 आने वाले दिनों में यह आंदोलन क्या मोड़ लेता है, यह देखना बाकी है, लेकिन इतना ज़रूर है कि अब किसानों की आवाज़ को अनसुना करना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
जय जवान, जय किसान! 🌾