PKVY Yojana 2025: किसानों को मिलेगा ₹31,500 प्रति हेक्टेयर का लाभ

किसानों को मिलेगा ₹31,500 प्रति हेक्टेयर का लाभ: जानिए PKVY योजना के तहत जैविक खेती के फायदे
भारत में कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय में वृद्धि के लिए सरकार समय-समय पर नई योजनाएं प्रस्तुत करती रहती है। इसी कड़ी में, परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) एक महत्वपूर्ण पहल है, जो किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे रासायनिक मुक्त और पर्यावरण अनुकूल खेती की ओर अग्रसर हो सकें।
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सरकार की PKVY योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की वित्तीय सहायता दी जा रही है। यह योजना किसानों को जैविक खेती अपनाने और पर्यावरण अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई है।
PKVY योजना: एक परिचय
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित करना और रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के उपयोग को कम करना है। यह योजना राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (SHM) का हिस्सा है। इस योजना के माध्यम से किसानों को जैविक खेती के लिए आवश्यक प्रशिक्षण, प्रमाणन, और विपणन सहायता प्रदान की जाती है।
किसानों को मिलने वाली वित्तीय सहायता
PKVY योजना के तहत किसानों को तीन वर्षों के लिए प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की वित्तीय सहायता दी जाती है। इसमें से ₹15,000 की राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है, जबकि शेष राशि जैविक इनपुट जैसे जैविक खाद, कीटनाशक, और बीजों की खरीद के लिए उपयोग की जाती है।
योजना के प्रमुख लाभ
1. मिट्टी की उर्वरता में सुधार
जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं होता, जिससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता बनी रहती है। इससे भूमि की गुणवत्ता में सुधार होता है और दीर्घकालिक उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
2. स्वास्थ्यवर्धक और रासायनिक मुक्त उत्पाद
जैविक खेती से उत्पादित फसलें रासायनिक तत्वों से मुक्त होती हैं, जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। इससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है और उपभोक्ताओं में विश्वास बढ़ता है।
3. पर्यावरण संरक्षण
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से पर्यावरण में प्रदूषण होता है। जैविक खेती से इनका उपयोग कम होता है, जिससे जल, वायु, और मृदा की गुणवत्ता बनी रहती है और जैव विविधता संरक्षित रहती है।
4. कृषि उत्पादों की बाजार में उच्च मांग
जैविक उत्पादों की बाजार में उच्च मांग है, जिससे किसानों को अच्छे मूल्य मिलते हैं। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है और वे आर्थिक रूप से सशक्त बनते हैं।
5. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
PKVY योजना के तहत किसानों को जैविक खेती की तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से खेती कर सकें। इससे उनकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है और वे बेहतर तरीके से खेती कर पाते हैं।
योजना के लिए पात्रता
PKVY योजना का लाभ लेने के लिए निम्नलिखित पात्रता मानदंड हैं:
- किसान के पास अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि होनी चाहिए।
- किसान को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए।
- किसान को योजना के तहत पंजीकरण कराना होगा।
आवेदन की प्रक्रिया
PKVY योजना के तहत आवेदन करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होगी:
- पंजीकरण: किसान को अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में पंजीकरण कराना होगा।
- प्रशिक्षण: पंजीकरण के बाद, किसान को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- सर्टिफिकेशन: प्रशिक्षण के बाद, किसान को जैविक खेती का प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
- वित्तीय सहायता: प्रमाणपत्र मिलने के बाद, किसान को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
राज्य और केंद्र सरकार का योगदान
PKVY योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर किसानों को सहायता प्रदान करती हैं। केंद्र और राज्य सरकारों का योगदान 60:40 के अनुपात में होता है। केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 100% की सहायता दी जाती है। वहीं हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों का अनुपात 90:10 है।
निष्कर्ष
PKVY योजना किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो उन्हें जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करती है। इस योजना के माध्यम से किसान न केवल अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ खाद्य उत्पादन में भी योगदान दे सकते हैं। इसलिए, किसानों को इस योजना का लाभ उठाकर जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।
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