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Turichya shenga var kid in hindi:-फलियों पर गिरने वाले इल्लियों से एक झटके में छुटकारा पाएं; विस्तृत मार्गदर्शन यहां देखें

Turichya shenga var kid in hindi:-फलियों पर गिरने वाले इल्लियों से एक झटके में छुटकारा पाएं; विस्तृत मार्गदर्शन यहां देखेंजब तुरी की फसल फूल अवस्था में होती है, तो पर्यावरण में बदलाव के कारण कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। इस समस्या से किसान चिंतित हैं और उन्होंने उत्पादन में कमी की आशंका जताई है. ऐसी स्थिति में कीट नियंत्रण के लिए उचित उपाय करना आवश्यक है।

1.तुरी पर कीट संक्रमण के कारण

🌾 तुरी (अरहर) पर कीट संक्रमण के कारण 🌾

तुरी (अरहर) की खेती में कीट संक्रमण एक बड़ी समस्या है, जिससे फसल की उपज और गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कीट संक्रमण के निम्नलिखित मुख्य कारण होते हैं:

1. फसल का एक ही स्थान पर बार-बार उगाना (Monocropping)

  • जब एक ही स्थान पर बार-बार तुरी की फसल उगाई जाती है, तो मिट्टी में कीटों के अंडे और लार्वा जीवित रह जाते हैं।
  • इससे कीटों का संक्रमण बढ़ने की संभावना अधिक होती है।

2. मौसम और जलवायु (Weather and Climate)

  • गर्म और आर्द्र जलवायु तुरी की फसल पर कीट संक्रमण के लिए अनुकूल होती है।
  • अचानक बारिश या नमी का अधिक स्तर भी कीटों को बढ़ावा देता है।

3. उचित फसल प्रबंधन का अभाव (Lack of Proper Crop Management)

  • यदि फसल की निगरानी सही तरीके से नहीं की जाती तो शुरुआती संक्रमण को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।
  • खेतों की समय-समय पर सफाई न करना संक्रमण को बढ़ावा देता है।

4. कीट-प्रतिरोधी किस्मों का न होना (Non-Resistant Varieties)

  • कीट-प्रतिरोधी (Pest-Resistant) किस्मों का उपयोग न करने पर कीट आसानी से फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • स्थानीय कीटों के अनुकूल किस्मों का चयन आवश्यक है।

5. कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग (Overuse of Pesticides)

  • अत्यधिक या अनियमित तरीके से कीटनाशकों का उपयोग करने से कीटों में प्रतिरोधक क्षमता (Resistance) विकसित हो जाती है।
  • इससे कीटनाशकों का प्रभाव कम हो जाता है।

6. जैविक संतुलन का टूटना (Disturbance of Natural Balance)

  • खेतों में प्राकृतिक दुश्मन (जैसे – परभक्षी कीट, पक्षी) की कमी के कारण हानिकारक कीटों की संख्या बढ़ जाती है।
  • जैविक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

7. फसल चक्र (Crop Rotation) का पालन न करना

  • यदि फसल चक्र का पालन नहीं किया जाता, तो कीट मिट्टी में लंबे समय तक जीवित रहते हैं।
  • फसल चक्र अपनाने से कीट संक्रमण का खतरा कम होता है।

8. रोगग्रस्त बीजों का उपयोग (Use of Infected Seeds)

  • यदि बीज रोगग्रस्त या संक्रमित हैं, तो फसल की शुरुआती अवस्था में ही संक्रमण हो सकता है।
  • बीजों को उपचारित (Treated) करके ही बोना चाहिए।

9. अपर्याप्त कृषि तकनीक (Inadequate Agricultural Practices)

  • सिंचाई, उर्वरक और फसल प्रबंधन की सही तकनीक का पालन न करने से संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
  • खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने से भी कीटों की वृद्धि होती है।

10. अवशेष प्रबंधन (Crop Residue Management)

  • फसल कटाई के बाद खेत में फसल अवशेष (Crop Residues) छोड़ने से कीट और उनके अंडे खेत में रह जाते हैं।
  • खेत की सफाई और गहरी जुताई आवश्यक है।

🚜 नियंत्रण और रोकथाम के उपाय (Control and Prevention Measures)

  1. कीट-प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।
  2. समय-समय पर फसल का निरीक्षण करें।
  3. फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाएं।
  4. जैविक कीटनाशकों (Bio-Pesticides) का उपयोग करें।
  5. उचित समय पर सिंचाई और उर्वरकों का प्रयोग करें।
  6. खेत की गहरी जुताई करें।
  7. प्राकृतिक शत्रुओं (Beneficial Insects) का संरक्षण करें।

🌟 निष्कर्ष (Conclusion)

तुरी की फसल पर कीट संक्रमण को रोकने के लिए उन्नत कृषि तकनीकों, फसल चक्र, उचित प्रबंधन, और जैविक समाधानों का पालन करना आवश्यक है। सही समय पर कीटों का निरीक्षण और रोकथाम से तुरी की फसल को हानि से बचाया जा सकता है।

“स्मार्ट खेती – स्वस्थ फसल की गारंटी!” 🌾🚜✨

इस वर्ष के ख़रीफ़ सीज़न के दौरान लगातार बारिश और आर्द्र मौसम के कारण फली छेदक, फली मक्खी और पंख कीट की घटनाओं में वृद्धि हुई है। हालांकि किसानों ने कीटनाशकों का छिड़काव किया है, लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं हैं।

2.एकीकृत प्रबंधन समाधान

🌾 तुरी पर कीट संक्रमण के लिए एकीकृत प्रबंधन समाधान (Integrated Pest Management – IPM) 🌾

एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) एक वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण है, जो कीटों के नियंत्रण के लिए प्राकृतिक, जैविक, यांत्रिक, और रासायनिक उपायों का संयोजन करता है। इसका उद्देश्य कीटों को नियंत्रित करना, फसल के उत्पादन को बढ़ाना, और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना है। तुरी पर कीट संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एकीकृत प्रबंधन समाधान (IPM) का पालन करना बेहद प्रभावी हो सकता है।

1. कीट निगरानी (Pest Monitoring)

  • समय-समय पर फसल की निगरानी करें।
  • खेत में कीटों की उपस्थिति, उनकी संख्या, और किस प्रकार की क्षति हो रही है, इसका रेकॉर्ड रखें।
  • फसल अवलोकन से यह पता चलता है कि कीट संक्रमण का स्तर कितना है और नियंत्रण उपायों की आवश्यकता है।

2. कीट पहचान (Pest Identification)

  • कीटों की सही पहचान बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सभी कीट फसल के लिए हानिकारक नहीं होते।
  • फायदे मंद कीटों (Beneficial Insects) की पहचान भी की जानी चाहिए, जैसे मच्छरदानी, जो कीटों के नियंत्रण में मदद करते हैं।

3. जैविक नियंत्रण (Biological Control)

  • प्राकृतिक शत्रुओं (Natural Enemies) का संरक्षण करें, जैसे पक्षी, बैक्टीरिया, और परजीवी कीट, जो हानिकारक कीटों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  • जैविक कीटनाशक जैसे नीम तेल, बैसिलस थुरिंजिएंसिस (BT), और टैनिन का उपयोग करें।
  • ये प्राकृतिक तरीके कीटों के खिलाफ प्रभावी होते हैं, बिना पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए।

4. यांत्रिक और शारीरिक उपाय (Mechanical & Physical Control)

  • कृषि अवशेषों को समय-समय पर साफ करें ताकि कीटों के लिए शरण स्थल न बने।
  • खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें। अधिक नमी वाले क्षेत्र कीटों के लिए अनुकूल होते हैं।
  • प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग कर सकते हैं, जो कीटों के विकास को रोकता है।

5. रासायनिक नियंत्रण (Chemical Control)

  • रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में करें जब अन्य तरीके प्रभावी न हों।
  • रासायनिक कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग कीटों में प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर सकता है, जिससे उनका नियंत्रण कठिन हो जाता है।
  • संवेदनशीलता के अनुसार कीटनाशकों का चयन करें और उनका सटीक समय पर प्रयोग करें।

6. फसल चक्र और विविधता (Crop Rotation and Diversification)

  • फसल चक्र अपनाने से कीटों के जीवन चक्र में रुकावट आती है।
  • एक ही प्रकार की फसल बार-बार न उगाएं, ताकि कीटों की संख्या नियंत्रित रहे।
  • विविधतापूर्ण फसलें लगाने से कीटों के लिए किसी विशेष फसल पर हमला करना कठिन होता है।

7. कृषि अवशेष प्रबंधन (Crop Residue Management)

  • फसल कटाई के बाद अवशेषों को साफ करें, ताकि कीटों का घर न बने।
  • अवशेषों को खेत में छोड़ने से कीटों के अंडे और लार्वा को पुनः प्रजनन का अवसर मिलता है।

8. पर्यावरणीय प्रबंधन (Environmental Management)

  • फसल के आसपास के वातावरण का प्रबंध करें।
  • मिट्टी की गुणवत्ता और जल निकासी को सही रखें।
  • अत्यधिक नमी या सूखा कीटों के लिए एक अच्छे वातावरण को जन्म देते हैं।

9. किसानों की शिक्षा और प्रशिक्षण (Farmer Education & Training)

  • किसानों को IPM के तरीकों के बारे में प्रशिक्षित करें।
  • उन्हें यह बताएं कि कीट प्रबंधन के लिए क्या उपाय अधिक प्रभावी हैं और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले तरीके कौन से हैं।

10. ट्रैप क्रॉप्स (Trap Crops)

  • जाल फसलें उगाएं, जो कीटों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं और मुख्य फसल को सुरक्षित रखती हैं।
  • इस तरह की फसलें कीटों के लिए आकर्षक जगह प्रदान करती हैं, जिससे मुख्य फसल पर उनका हमला कम होता है।

🚦 निष्कर्ष (Conclusion)

एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) एक समग्र दृष्टिकोण है, जिसमें विभिन्न उपायों का संयोजन किया जाता है। यह प्राकृतिक, जैविक, और यांत्रिक नियंत्रण उपायों के साथ रासायनिक नियंत्रण का संतुलन बनाए रखता है, ताकि कीटों का प्रभावी रूप से नियंत्रण किया जा सके। इस दृष्टिकोण को अपनाने से पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान नहीं होता और किसानों की फसल भी सुरक्षित रहती है।

“समय रहते सही उपाय – सफल फसल!” 🌾🚜✨

  • बर्ड स्टॉप का निर्माण: प्रति हेक्टेयर 20 बर्ड स्टॉप का निर्माण किया जाना चाहिए। इससे पक्षियों को लार्वा खाकर कीट के संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।
  • लार्वा का भौतिक विनाश: तूरी के पेड़ के नीचे थैलियां रखकर पेड़ को हिलाएं। इससे लार्वा थैले पर गिर जाता है और एकत्र होकर नष्ट हो जाता है।

3.फसल का नियमित निरीक्षण करें

  • वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को नियमित रूप से फसल का निरीक्षण करने की सलाह दी है। यदि कीड़ों का प्रकोप दिखे तो उसका तुरंत उपचार करना चाहिए।

4.तुरी पर कीड़ों के प्रकार

  • फली छेदक: मादा कीट फूलों और फलियों पर अंडे देती है। लार्वा हल्के, हल्के गुलाबी और भूरे रंग के होते हैं और फलियों में छेद कर देते हैं और अंदर के दानों को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • फलियां: यह कीड़ा फलियों के अंदर रहता है और अनाज को कुतर देता है। इस मक्खी का लार्वा सफेद रंग का तथा पैर रहित होता है।
  • आलूबुखारा कीट: इस कीट के लार्वा हरे-भूरे रंग के होते हैं और फली के खोल में छेद करते हैं और बीज खाने के लिए बाहर रहते हैं।

5.समय पर छिड़काव

पहला छिड़काव: जब फसल 50 प्रतिशत फूल पर हो, तो निम्बोली अर्क 5%, एजाडेरेक्टिन 300 पीपीएम 50 मिली या क्रिनोलफोस 25 ईसी 20 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
दूसरा छिड़काव: पहले छिड़काव के 15 दिन बाद इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी 3 ग्राम या क्लोरेंट्रानिप्रोल 5% एससी 2.5 मिली को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

6. किसानों की राय

वाशिम के किसान गणेश इंगोले का कहना है कि पर्यावरण में अचानक आए बदलाव के कारण तुरी पर कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया है. इस पर नियंत्रण के लिए महंगी दवाओं के छिड़काव की लागत भी बढ़ गई है।

तुरी पर फली छेदक के प्रबंधन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। कीट नियंत्रण सलाह का पालन करने से उपज के नुकसान को रोका जा सकता है और किसान इस समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं।

Avinash

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