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Gold-Silver Price Today: Fed के फैसले से क्यों फिसला सोना-चांदी, क्या आगे भी जारी रहेगी गिरावट?

Gold-Silver Price Today: सोना-चांदी की कीमतों पर क्यों पड़ा फेड के फैसले का असर?

Gold-Silver Price Today: Fed के फैसले से क्यों फिसला Gold-Silver, क्या आगे भी जारी रहेगी गिरावट?

सोना और चांदी हमेशा से भारतीय निवेशकों के लिए सुरक्षित निवेश (Safe Haven) माने जाते रहे हैं। शादी-ब्याह, त्योहार और निवेश – हर मौके पर गोल्ड और सिल्वर की अहमियत बनी रहती है। लेकिन बीते कुछ दिनों से इनकी कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) के फैसले के बाद गोल्ड और सिल्वर की चमक फीकी पड़ गई है। ऐसे में निवेशकों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर फेड के फैसले से सोना-चांदी क्यों फिसल रहे हैं और क्या आगे भी यह गिरावट जारी रहेगी?

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इस आर्टिकल में हम गोल्ड-सिल्वर की मौजूदा कीमतों, फेड की पॉलिसी, डॉलर और बॉन्ड यील्ड के असर, साथ ही आने वाले समय में निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए – इसका विस्तार से विश्लेषण करेंगे।

फेडरल रिजर्व के फैसले के बाद गोल्ड और सिल्वर की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। डॉलर की मजबूती और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी से कीमती धातुओं का दबाव बढ़ा है। जानिए आगे कीमतें कहां जा सकती हैं और निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए।

मौजूदा गोल्ड-सिल्वर की कीमतें

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी की कीमतें दबाव में हैं। कॉमेक्स (COMEX) पर गोल्ड की कीमत हाल ही में $2,300 प्रति औंस के नीचे फिसली है। वहीं सिल्वर भी $28 प्रति औंस के आसपास ट्रेड कर रही है।

भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर:

  • सोना (Gold October Futures) लगभग ₹57,000 – ₹58,000 प्रति 10 ग्राम पर है।
  • चांदी (Silver Futures) करीब ₹72,000 – ₹73,000 प्रति किलो पर कारोबार कर रही है।

त्योहारी सीजन की शुरुआत के बावजूद कीमतों में यह कमजोरी निवेशकों को चौंका रही है।

फेड के फैसले का असर क्यों पड़ा?

सोना और चांदी की कीमतों पर सबसे बड़ा असर अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) के फैसलों का पड़ता है। दरअसल, सोना और सिल्वर ग्लोबल कमोडिटी हैं और इनकी वैल्यू डॉलर, ब्याज दर और बॉन्ड यील्ड से सीधे जुड़ी होती है।

हाल ही में फेड ने संकेत दिया कि ब्याज दरों में कटौती (Rate Cut) अभी टल सकती है। इसका मतलब है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड ऊंचे बने रहेंगे और डॉलर मजबूत रहेगा।

👉 अब जानते हैं कि यह सोना-चांदी के लिए क्यों नेगेटिव है:

  1. डॉलर की मजबूती (Dollar Strength)
    जब डॉलर मजबूत होता है तो अन्य मुद्राओं में गोल्ड और सिल्वर महंगे हो जाते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय मांग घटती है और दाम दबाव में आ जाते हैं।
  2. बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी (Higher Bond Yield)
    अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर ज्यादा रिटर्न मिलने से निवेशक सोने-सिल्वर की जगह बॉन्ड में पैसा लगाते हैं। इससे कीमती धातुओं में निवेश घटता है।
  3. महंगाई और ब्याज दर का समीकरण
    फेड अगर ब्याज दर ऊंची रखता है तो महंगाई पर काबू पाया जा सकता है। लेकिन सोना अक्सर महंगाई से बचाव (Hedge) के रूप में खरीदा जाता है। इसलिए महंगाई कम होने की उम्मीद में गोल्ड-सिल्वर की मांग घटती है।

क्या आगे भी जारी रहेगी गिरावट?

यह सवाल हर निवेशक के मन में है। विश्लेषक मानते हैं कि गोल्ड-सिल्वर की गिरावट पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन यह कितनी गहराई तक जाएगी – यह कुछ फैक्टर्स पर निर्भर करेगा:

1. फेड की अगली पॉलिसी

अगर फेड दिसंबर या अगले साल की शुरुआत में ब्याज दरों में कटौती के संकेत देता है, तो सोना और सिल्वर एक बार फिर चढ़ सकते हैं।

2. डॉलर इंडेक्स (Dollar Index)

डॉलर इंडेक्स अगर 105-106 के ऊपर बना रहता है तो गोल्ड-सिल्वर पर दबाव रहेगा। लेकिन डॉलर कमजोर होने पर इन धातुओं को सपोर्ट मिलेगा।

3. जियोपॉलिटिकल टेंशन

रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य-पूर्व संकट जैसे हालात अगर बिगड़ते हैं तो गोल्ड-सिल्वर सेफ हेवन के रूप में मजबूत होंगे।

4. त्योहारी और शादी सीजन

भारत और चीन गोल्ड के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। अगर यहां मांग बढ़ती है तो दाम को सपोर्ट मिल सकता है।

लॉन्ग टर्म प्रॉस्पेक्ट्स

भले ही शॉर्ट टर्म में गोल्ड-सिल्वर दबाव में हों, लेकिन लॉन्ग टर्म में इनकी पोजीशन मजबूत मानी जाती है।

  • गोल्ड (Gold):
    2025 तक गोल्ड के ₹65,000 – ₹70,000 प्रति 10 ग्राम तक जाने की उम्मीद है। महंगाई, डॉलर कमजोरी और सेंट्रल बैंकों की खरीद (Central Bank Buying) इसे सपोर्ट करेगी।
  • सिल्वर (Silver):
    सिल्वर को इंडस्ट्रियल डिमांड से भी सपोर्ट मिलेगा। इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV), सोलर एनर्जी और ग्रीन टेक्नोलॉजी में सिल्वर की खपत बढ़ रही है। 2025 तक यह ₹90,000 – ₹1,00,000 प्रति किलो तक पहुंच सकता है।

निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?

  1. डिप्स पर खरीदें (Buy on Dips)
    मौजूदा गिरावट निवेशकों के लिए खरीदारी का अच्छा मौका हो सकता है। खासकर लॉन्ग टर्म निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए।
  2. SIP के जरिए निवेश करें
    एकमुश्त निवेश की बजाय हर महीने थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गोल्ड ETF या डिजिटल गोल्ड में निवेश करना सही रहेगा।
  3. सिल्वर में ध्यान दें
    आने वाले समय में इंडस्ट्रियल डिमांड से सिल्वर का फायदा गोल्ड से ज्यादा हो सकता है।
  4. शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स सतर्क रहें
    अगर आप ट्रेडिंग कर रहे हैं तो डॉलर इंडेक्स, फेड मीटिंग और ग्लोबल संकेतों पर नजर रखें।

निष्कर्ष

फेडरल रिजर्व के फैसले से फिलहाल गोल्ड-सिल्वर पर दबाव बना हुआ है। डॉलर और बॉन्ड यील्ड में मजबूती इन धातुओं को कमजोर कर रही है। हालांकि लॉन्ग टर्म में सोना-चांदी की चमक बरकरार है और निवेशकों को घबराने की बजाय समझदारी से निवेश करना चाहिए।

त्योहारी और शादी सीजन, साथ ही जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता आने वाले महीनों में गोल्ड-सिल्वर को सपोर्ट दे सकती है। इसलिए यह गिरावट निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म खरीदारी का सुनहरा मौका साबित हो सकती है।

Avinash Kusmade

Kmedia Company में एक कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं और ट्रेंडिंग न्यूज़ में विशेषज्ञता के साथ पांच साल का अनुभव है। वे पाठकों तक स्पष्ट और सटीक जानकारी पहुँचाने के लिए समर्पित हैं, जिससे जटिल सरकारी योजनाएँ आम जनता के लिए आसानी से समझ में आ सकें।

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