100 देशी मुर्गियों पर 75% अनुदान और 200 किलो खाद्य योजना 2025 – पूरी जानकारी
ग्रामीण युवाओं के लिए 100 देशी मुर्गियों पर सब्सिडी योजना

100 देशी मुर्गियों पर 75% अनुदान और 200 किलो खाद्य – योजना की पूरी जानकारी
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी रोजगार और आय का मुख्य साधन कृषि ही है। लेकिन केवल खेती पर निर्भर रहना कई बार परिवार की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता। ऐसे में पूरक व्यवसाय का महत्व बढ़ जाता है। इन्हीं पूरक व्यवसायों में से एक है कुक्कुटपालन (पोल्ट्री फार्मिंग)। सरकार द्वारा समय-समय पर ग्रामीण युवाओं, महिलाओं और छोटे किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं।
PM Awas Yojana Gramin Survey 2025: पीएम आवास योजना ग्रामीण आवेदन शुरू
100 देशी मुर्गियों पर 75% अनुदान और 200 किलो खाद्य देने की सरकारी योजना ग्रामीण युवाओं और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का सुनहरा अवसर है। इस योजना से रोजगार, आय और पोषण सुरक्षा—all in one समाधान।
इसी कड़ी में 100 देशी मुर्गियों पर 75% अनुदान और 200 किलो खाद्य देने की योजना एक बहुत ही लाभकारी योजना है, जो न केवल रोजगार सृजन करती है बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर भी बनाती है। आइए इस ब्लॉग में हम इस योजना के सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य है –
- ग्रामीण क्षेत्रों में कुक्कुटपालन को बढ़ावा देना।
- खेती के साथ पूरक व्यवसाय शुरू कर किसानों की आय में वृद्धि करना।
- बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना।
- राज्य में बेरोजगारी की समस्या को कम करना।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना।
योजना के तहत मिलने वाले लाभ
- 100 देशी मुर्गियां उपलब्ध कराई जाएंगी।
ये मुर्गियां स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल होती हैं, कम देखभाल में भी अच्छी तरह पनपती हैं और अंडे तथा मांस दोनों के लिए लाभदायक होती हैं। - 75% तक का अनुदान।
यानी मुर्गियां और खाद्य की लागत का बड़ा हिस्सा सरकार वहन करेगी। इससे लाभार्थियों पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। - 200 किलो मुर्गियों के लिए खाद्य।
शुरुआती दिनों में मुर्गियों के लिए भोजन की व्यवस्था करना कठिन हो सकता है, लेकिन योजना के तहत यह सुविधा भी दी जाती है। - पूरक व्यवसाय का अवसर।
खेती के साथ-साथ परिवार को अतिरिक्त आमदनी का साधन मिलेगा।
योजना के फायदे
- ग्रामीण रोजगार सृजन – गांव के युवाओं को अपने ही गांव में काम मिलेगा, जिससे पलायन कम होगा।
- आर्थिक स्वावलंबन – महिलाएं और बेरोजगार युवक स्वतंत्र रूप से अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
- पोषण सुरक्षा – देशी मुर्गियों के अंडे और मांस पौष्टिक आहार उपलब्ध कराते हैं।
- कम निवेश, अधिक लाभ – मुर्गियों को पालने में कम लागत आती है और बाजार में देशी अंडों व मांस की मांग ज्यादा है।
- राज्य की अर्थव्यवस्था को गति – स्थानीय स्तर पर रोजगार और उत्पादन बढ़ने से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
पात्रता और शर्तें
- जाति प्रमाणपत्र – यह योजना खास तौर पर भटक्या जमाती (क) प्रवर्ग के लिए है। ऐसे में जाति प्रमाणपत्र आवश्यक है।
- आयु सीमा – 18 से 60 वर्ष तक का कोई भी व्यक्ति आवेदन कर सकता है।
- स्वयं की जगह होनी चाहिए – परस या घर के आसपास मुर्गियां पालने के लिए पर्याप्त जगह होना जरूरी है।
- एक परिवार से केवल एक लाभार्थी – ताकि अधिक से अधिक परिवारों को योजना का लाभ मिले।
- प्राथमिकता – भूमिहीन, अल्पभूधारक, बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) और पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- पायाभूत सुविधाएं – लाभार्थी को 3 महीने के भीतर मुर्गियों के लिए शेड आदि की व्यवस्था करनी होगी।
- रिपोर्टिंग – चयन के बाद पायाभूत सुविधाएं पूरी करने के बाद लाभार्थी को पशुधन विकास अधिकारी को सूचित करना होगा।
आवश्यक दस्तावेज
- आधार कार्ड
- जाति प्रमाणपत्र (यदि लागू हो)
- राशन कार्ड
- बीपीएल कार्ड या गरीबी रेखा से नीचे का प्रमाणपत्र (यदि लागू हो)
- जमीन की नोंद (7/12 उतारा या 83 नंबर उतारा)
- पशुपालन प्रशिक्षण प्रमाणपत्र
- बैंक पासबुक
आवेदन प्रक्रिया
- इच्छुक उम्मीदवारों को अपने तालुका स्तर के पशुसंवर्धन विभाग से संपर्क करना होगा।
- आवेदन पंचायत समिति के माध्यम से स्वीकार किए जाएंगे।
- प्राप्त आवेदनों की जांच कर जिलास्तरीय समिति अंतिम मंजूरी देगी।
- स्वीकृति के बाद लाभार्थी को 100 देशी मुर्गियां और 200 किलो खाद्य प्रदान किया जाएगा।
क्यों करें देशी मुर्गियों का पालन?
- कम लागत में पालन संभव – देशी मुर्गियां बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखती हैं।
- ज्यादा मांग – देशी अंडे और मांस की बाजार में हमेशा अधिक मांग रहती है।
- पोषक तत्वों से भरपूर – इनके अंडे और मांस में अधिक प्रोटीन और स्वाद होता है।
- स्थायी आय का स्रोत – अंडे बेचकर नियमित आय और मुर्गियों से अतिरिक्त लाभ कमाया जा सकता है।
व्यवसाय की संभावनाएं
यदि एक लाभार्थी 100 मुर्गियों से शुरुआत करता है, तो कुछ ही महीनों में वह अच्छी आय अर्जित कर सकता है।
- औसतन एक देशी मुर्गी सालभर में 120–150 अंडे देती है।
- 100 मुर्गियों से लगभग 12,000 से 15,000 अंडे सालभर में मिल सकते हैं।
- अगर अंडे बाजार में ₹8–₹10 प्रति अंडा बिकते हैं, तो सालाना आय लाखों तक पहुंच सकती है।
- इसके अलावा मांस की बिक्री से भी अतिरिक्त लाभ मिलता है।
निष्कर्ष
100 देशी मुर्गियों पर 75% अनुदान और 200 किलो खाद्य देने की योजना ग्रामीण भारत के लिए एक वरदान है। यह योजना खासकर उन लोगों के लिए है जिनके पास सीमित संसाधन हैं लेकिन आत्मनिर्भर बनने की इच्छा है। सही प्रशिक्षण और देखभाल से मुर्गीपालन व्यवसाय से स्थायी और अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
अगर आप भी ग्रामीण क्षेत्र से हैं और खेती के साथ अतिरिक्त आय का स्रोत बनाना चाहते हैं, तो इस योजना का लाभ जरूर उठाएं।